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Navratri 2020: एक हजार फीट ऊंचे पर्वत पर है इस देवी का दरबार, बहुत खास है यह स्थान

Navratri 2020: एक हजार फीट ऊंचे पर्वत पर है इस देवी का दरबार, बहुत खास है यह स्थान

 

Navratri 2020: एक हजार फीट ऊंचे पर्वत पर है इस देवी का दरबार, बहुत खास है यह स्थान

यह देवी मां दुर्गा का अवतार है, यहां भक्तों की पुकार कभी खाली नहीं जाती, विध्यांचल पर्वत श्रंखला के पहाड़ों में विराजी यह देवी विध्यवासिनी भी कहलाती है...।

भोपाल। इस मंदिर पर पहुंचने के लिए भक्तों को 1400 सीढ़ियों का रास्ता पार करना पड़ता है। जबकि इस पहाड़ी पर जाने के लिए कुछ वर्षों में सड़क मार्ग भी बना दिया गया है। यहां पर दो पहिया और चार पहिया वाहन से पहुंचा जा सकता है। यह रास्ता करीब साढ़े 4 किलोमीटर लंबा है। इसके अलावा दर्शनार्थियों के लिए रोप-वे भी शुरू हो गया है, जिसकी मदद से यहां 5 मिनट में पहुंचा जा सकता है।

 

नवरात्रि 2020 के मौके पर भी यहां बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने पहुंच रहे हैं। इस बार कोविड गाइडलाइन का पालन के साथ ही संक्रमण से भी बचाव के साधन अपनाए जा रहे हैं।


मध्यप्रदेश के सीहोर जिले ( Sehore District ) में है सलकनपुर ( Salkanpur ) नामक गांव। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 75 किमी दूर 1000 फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजमान है बिजासन देवी। यह देवी मां दुर्गा का अवतार हैं। देवी मां का यह मंदिर इसलिए भी प्रसिद्ध है कि जिन लोगों को अपनी कुलदेवी के बारे में नहीं पता होता है वे इसी देवी को कुलदेवी मानते हैं।


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दुःख दूर करने वाली माता

सलकनपुर वाली माता के दरबार में दर्शनार्थियों की कोई पुकार कभी खाली नहीं जाती है। बड़े से बड़ा मंत्री हो या एक गरीब इंसान मां सब पर कृपा बरसाती हैं। भक्तों के बढ़ते हुए कदम जैसे ही इस धाम की परिधि पर पहुंचते हैं, पूरा शरीर मानो मां बिजासन की शक्ति से भर जाता है। माना जाता है कि मां विजयासन देवी पहाड़ पर अपने परम दिव्य रूप में विराजमान हैं। विध्यांचल पर्वत श्रंखला पर विराजी माता को विध्यवासिनी देवी भी कहा जाता है।

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माता पार्वती का अवतार हैं विजयासन देवी

देवी विजयासन माता पार्वती का ही अवतार हैं, जिन्होंने देवताओं के आग्रह पर रक्तबीज नामक राक्षस का वध किया था और सृष्टि की रक्षा की थी। विजयासन देवी को कई लोग कुलदेवी के रूप में भी पूजते हैं। माता कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी का आशीर्वाद देती हैं, वहीं भक्तों की सूनी गोद भी भरती हैं। भक्तों की ही श्रद्धा है कि इस देवीधाम का महत्व किसी शक्तिपीठ से कम नहीं हैं।

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स्वयं-भू है प्रतिमा

देवी की प्रतिमा स्वयं-भू है। यह प्रतिमा माता पार्वती की है, जो वात्सल्य भाव से अपनी गोद में भगवान गणेश को लेकर बैठी हुई है। इस भव्य मंदिर में महालक्ष्मी, महासरस्वती और भगवान भैरव की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। भक्त बताते हैं कि एक मंदिर में कई देवी-देवताओं का आशीर्वाद पाने का सभी को सौभाग्य मिल जाता है।

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बाघ भी करता है परिक्रमा

जिस पहाड़ी पर माता का दरबार है, यह इलाका रातापानी के जंगलों से लगा है। जंगलों से बाघ भी माता के मंदिर तक पहुंच जाता है। भक्त मानते हैं कि मां दुर्गा का यह वाहन माता के दर्शन करने के लिए मंदिर की परिक्रमा करने आता है। कुछ ग्रामीण बताते हैं कि कई बरसों पहले जब यहां मंदिर का निर्माण नहीं हुआ था तो बाघ मंदिर के आसपास ही रहता था। धीरे-धीरे भक्तों की श्रद्धा उमड़ी और आज विजयासन देवी धाम बड़ा तीर्थ बन गया है।


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